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संदेश
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चे ई टलीफो स क हंदी ई-पि का “चे ई वाणी” क स ाइसव अंक क िवमोचन पर मुझे
अ यंत हष का अनुभव हो रहा है। िडिजटल युग क अनु प, पु तक से ई-पि का म पांत रत
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“चे ई वाणी” का िनरतर काशन होता आ रहा है। यह ा य उपलि ध चे ई टलीफो स क
सम त कम योिगय को सम प त है। जैसे ात है हंदी भाषा अनेक थानीय बोिलय व िवदेशी
भाषा क संयोजन से िखली ई है ।
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हंदी ने अपने इद -िगद वािहत िभ – िभ भाषा क श द को आ मसात कया, िजससे
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उसक श द भ डार का िव तार आ है और उसक सं ेषणीयता म वृि ई है। हंदी हरक
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भारतीय क मन म धरकर बसी है।
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हंदी को हमार संिवधान म राजभाषा का दजा दया गया है । भारत सरकार क उ म होने क
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नाते, हमार कायालय का येक कम चारी ितब है क वह राजभाषा हंदी का योग
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दैिनक काया लयीन म कर। संघ क राजभाषा नीित क सफल काया वयन का ोतक हमारी
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ई-पि का “चे ई वाणी” है। “चे ई वाणी” हंदी क दोन आयाम - राजभाषा व सािहि यक,
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को समान पटल देती है। न कवल कम चा रय क हंदी रचना मकता बि क अं ेज़ी म उनक
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पकड एवं कला मक कौशल – वाकई म कािबल-ए-तारीफ है । ई-पि का क सभी लेख
ानवध क व मनोरजक ह ।
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“चे ई वाणी” क उ वल भिव य क कामना करते ए, ई-पि का क िवमोचन म रात- दन
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एक कए हंदी अनुभाग क कम चारी को हा द क शभकामनाएँ।
(सी. वी. िवनोद)
मु य महा बंधक,चे ई टलीफो स
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